Wednesday, December 29, 2010

30% लोग हैं सेकण्ड हैंड स्मोकिंग के शिकार

30% लोग हैं सेकण्ड हैंड स्मोकिंग के शिकार- जीईटीएस इंडिया 2010

आजीविका बचाने के नाम पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम को हम लंबे समय तक बर्दाश्‍त नहीं कर सकते।’ केन्द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज यहां पहला वैश्विक वयस्क तम्‍बाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस)-इं‍डिया 2010 जारी करने के बाद यह बात कही. आजाद ने कहा है कि तम्‍बाकू पैदा करने वाले किसानों की आजीविका को खतरे में नहीं डाला जा सकता लेकिन हमें किसानों और खेतीहर मजदूरों को तम्‍बाकू उद्योग से बाहर निकालने की दिशा में काम करना होगा. उल्लेखनीय है कि यह सर्वे तम्बाकू के अर्थशाश्त्र और इसके व्यापक प्रभाव जानने केंद्र सरकार के द्वारा कराया गया है.
इस अवसर पर राज्‍य मंत्री श्री दिनेश त्रिवेदी ने चित्रों के जरिए चेतावनी जारी करने का आह्वान करते हुए तम्‍बाकू चबाने के इस्‍तेमाल पर नजर रखने पर जोर दिया. उन्‍होंने तम्‍बाकू की जगह वै‍कल्पिक फसलों की जरूरत पर भी बल दिया. राज्‍य मंत्री ने तम्‍बाकू के इस्‍तेमाल की बुराई का मुकाबला करने के लिए जनता में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया.
गेट्स इं‍डिया तम्‍बाकू पीने और तम्‍बाकू के धूआंरहित इस्‍तेमाल के अलावा विभिन्‍न तम्‍बाकू उत्‍पादों, इस्‍तेमाल की आवृति, शुरूआत करने की आयु आदि जैसे तम्‍बाकू उत्‍पादों के इस्‍तेमाल विविध आयामों के बारे में सूचना उपलब्‍ध कराती है।
गेट्स इंडिया के मुख्‍य अंश :
वर्तमान समय में 34.6 % वयस्‍क तम्‍बाकू उत्‍पादों का इस्‍तेमाल करते हैं। जिनमें से 47.9 % पुरुष और 20.3 % महिलाएं हैं. 5.7 % वयस्‍क सिगरेट पीते हैं. इनमें 10.3 % पुरुष और 0.8 % महिलाएं हैं। वर्तमान समय में बीड़ी पीने वाले वयस्‍कों की संख्‍या 9.2 % है. इनमें 16.0 % पुरुष और 1.9 % महिलाएं हैं. वर्तमान समय में धूआंरहित तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करने वाले वयस्‍कों की संख्‍या 25.9 % है. इनमें 32.9 % पुरुष और 18.4 % महिलाएं हैं. प्रतिदिन तम्‍बाकू इस्‍तेमाल करने वालों में 60.2 % लोग उठने के आधे घंटे के भीतर तम्‍बाकू का सेवन करते हैं. तम्‍बाकू का प्रयोग करने वाली 25.8 % महिलाओं में 17.8 % ने इसकी शुरूआत औसतन 15 वर्ष से पहले की • नाबालिगों में (15-17) 9.6 % किसी रूप में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करते हैं और उनमें से ज्‍यादातर तम्‍बाकू उत्‍पादों को खरीद सकने योग्‍य होते हैं। • वर्तमान समय में 10 में से 5 धूम्रपान करने वालों (46.6 %) और धूम्ररहित तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करने वाले (45.2 %) इसे छोड़ने की योजना बनाते हैं या कम से कम छोड़ने के बारे में सोचते हैं। • करीब 10 में से 5 वयस्‍क (52.3 %) घर पर और 29.9 % सार्वजनिक स्‍थानों पर (विशेषतौर पर सार्वजनिक परिवहन और रेस्‍तरांओं में) सेकेंड हैंड स्‍मोक अर्थात धूम्रपान करने वाले व्‍यक्ति के आसपास मौजूद रहने के कारण प्रभावित होते हैं। • तीन में से करीब दो वयस्‍क (64.5 %) तम्‍बाकू उत्‍पादों के विज्ञापन या प्रोत्‍साहन पर गौर करते हैं। • वर्तमान समय में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करने वाले (61.1 %) में पांच में से तीन ने तम्‍बाकू उत्‍पादों पर स्‍वास्‍थ्‍य चेतावनी पर गौर किया और वर्तमान समय में तम्‍बाकू का इस्‍तेमाल करने वाले (31.5 %) ने चेतावनी के लेबल की वजह से तम्‍बाकू छोड़ने के बारे में विचार किया।
गेट्स इंडिया अखिल भारतीय निवासियों का 15 साल या उससे ज्‍यादा आयु के लोगों का घरेलू सर्वेक्षण है जो सर्वेक्षण तारीख से पूर्व अपने प्राथमिक घर में रह रहे थे। छात्र, डोर्मेट्रीज, अस्‍पताल, छात्रावास, फौजी बैरक आदि जैसी संस्‍थागत आबादी को सर्वेक्षण में शामिल नहीं किया गया। सर्वेक्षण में भागीदारी पूरी तरह स्‍वैच्छिक थी।

Tuesday, December 28, 2010

तम्बाकू छोड़ें

ज़्यादातर लोग तम्बाकू से हानि की सीमा को नहीं जानते, तब भी जबकि उन्हें कुछ जानकारी हो कि यह स्वास्थ्य के प्रति खतरा है। तम्बाकू कम्पनियां उसे आकर्षक बनाने के लिए पैकेजिंग तथा अन्य विज्ञापनों के रूप में हथकण्डे अपनाती हैं एवं साथ ही साथ तम्बाकू किस प्रकार स्वास्थ्य से खिलवाड़ करती है, इस कटु सत्य से ध्यान भी हटाती हैं। यह तथ्य सिद्ध किया जा चुका है कि पैकेजिंग पर चेतावनी तम्बाकू सेवन के सच्चाई बताने का सस्ता तथा शक्तिशाली तरीका है। तम्बाकू सेवन के नुकसान से सम्बन्धित चेतावनी के चित्र खतरों को बताने तथा,
जैसे कि सेवन छोड़ने या कम करने के लिए व्यावहारिक बदलाव के लिए प्रोत्साहित करने में विशेष रूप से प्रभावी होते हैं। चित्र द्वारा दी गई चेतावनी स्पष्ट एवं त्वरित सन्देश देती है, उन लोगों को भी जो पढ़ नहीं सकते। वे तम्बाकू के पैकेजों की कुल आकर्षकता को कम करते हैं - एक ऐसे उत्पाद के लिए महत्वपूर्ण बात जिसके नए उपयोगकर्ता युवा तथा छवि एवं ब्राण्ड के प्रति सचेत होते हैं। इस खतरे के विरुद्ध तथा देशों से कार्यवाही की मांग के जवाब में, विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 2009 अभियान निम्न मुख्य सन्देश पर केन्द्रित है। तम्बाकू के पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनियां जिनमें लिखित तथा चित्रित स्वरूप शामिल हैं, तम्बाकू सेवन से स्वास्थ्य को गम्भीर खतरों के प्रति जनजागरण बढ़ाने तथा तम्बाकू सेवन कम करने के लिए अत्यंत कम खर्चीले व प्रभावी तरीके हैं।

Monday, December 27, 2010

A number of union ministers are hand in glove with powerful tobacco lobby

LUCKNOW DECEMBER 8-

The anti-tobacco forum has decided to launch a nation-wide campaign against 'particular" policies of the government at centre which according to the forum,are favouring the powerful tobacco lobby .The forum has also alleged that a section of union ministers were also directly and indirectly involved in the "vicious circle" which has sounded a death knell for children especially those belonging to poor families.

The forum has also decided to expose the ministers in public .The decision of the forum to launch a nation-wide campaign has come after the central government has once again deferred a decision to issue statutory pictorial warning with pictures on pouches of the pan massala and cigarette packets .The government during a cabinet meeting held in new delhi on Tuesday has deferred the decision to make pan massala and cigarrette manufactures issue the statutory warning with pictures so that even illiterates can be warned against dangers involved in consumption of tobacco in any form.

"A number of union ministers are hand in glove with powerful tobacco lobby and which explains why this coterie of ministers has thrown its weight on deferment of the decision.These ministers with their vested interests have nothing to do with health of the children and also adults belonging to the poor sections," claimed Jitendra Mishra,convenor of the Anti-tobacco forum .

The forum has also made a request to the UPA chairperson Sonia Gandi to take a personal interest in the issue and save lakhs of children who are facing untimely death due to cancer and tuberculosis following prolonged tobacco consumption."We congratulate Soniaji on her birthday (Deecember 9) and we would be grateful to her if she can ensure that pictured warnings should be made mandatory from immediate affect." he said.

To corroborate its point on the issue,the forum has also quoted a report of the Global Adult Tobacco Survey which in its study has pointed out that in India at least three lakh children become addict to tobacco products every year and out of these nearly 70,000 face an untimely death due to cancer and nearly one lakh 20,000 become petients of tuberculosis which lead them to a slow death.The report has also claimed that as many as 10 lakh children allover the country face untimely death every year due to consumption of tobacco products.

"It's shocking and also frustrating that a coterie of union government ministers has joined hands with tobacco majors to help fasten "tobacco genocide "," said Jitendra Minisra.He also claimed that the forum has also decided to hold seminars,street plays and other means of communication not only to awaken the masses against dangers of regular tobacco consumption but also to expose the ministers before the public.

"Union minister Praful Patel's family is engaged in Bidi manufacturing business in Gondia district of Maharashtra while Pranab mukherjee represents in Parliament the Mushirabad constituency of West bengal whihc is a major Bidi producing region .In a similar manner,the ministers from Andhra Pradesh to Maharashtra are using their clout for forcing the government to frame pr-tobacco producer's policies," claimed the convenor.

He also pointed out that not only ministers in the government but also opposition leaders have joined hands with powerful tobacco lobby to serve their vested interests."The former BJP president M Venkaiah Naidu had even been the chairman of the tobacco Board," Mishra pointed out.

Significantly,while the pro-tobacco manufacturers lobby is very influential in Maharashtra the same role is being played by wealth farmers in Andhra Pradesh.These farmers use their men and money on a large scale in getting favours in Rajmundari district in Andhra Pradesh .This district is among the top tobacco producing region of the state where the tobacco gian ITC has a large stake.

"The forum has decided to take up its campaign in these areas so that the nexsus between farmers,ministers and powerful tobacco lobby could be exposed." said Jitendra Mishra.

सभी सांसदों के नाम आईएमसीएफ़जे का खुला पत्र

विषय - तंबाकू लाबी के आगे झुकने वाली सरकार के खिलाफ दबाव बनाए

महोदय /महोदया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते ंगलवार को सिगरेट, बीड़ी और गुटखे पर सचित्र चेतावनी को बदलने का फैसला एक साल के लिए टाल दिया है। इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिंदी अखबार ने दिनांक ९ दिसंबर २०१० के अंक में बताया है कि यह फैसला तंबाकू लाबी के दबाव में उठाया गया है केंद्र सरकार के कई मंत्री मंत्री तंबाकू लाबी के ित को देखतेहुए अपने दबाव का इस्तेताल कर रहें हैं। यही वजह है कि लोगों की सेहत की परवाह रते हुए सिगरेट, बीड़ी और गुटखे पर से सचित्र चेतावनी बदलने का फैसला मंत्रिमडल ने टाल दिया ै। केंद्र सरकार का यह रवैया कई बार सामने आ चुका है गौरतलब है कि हर साल तंबाकू का सेवन शुरु करने वाले तीन लाख गरीब बच्चों में से नब्बे हजार बच्चे कैंसर के शिकार होकर दम तोड़ देते हैं

आप इस देश की सबसे बड़ी पंचायत के सदस्य है आप से हमारा संगठन अपील करता है कि लाखों बच्चों को मौत के मुंह से बचने के लिए संसद में आवाज उठाए ताकि केंद्र सरकार तंबाकू लाबी के दबाव से मुक्त होकर सिगरेट ,बीडी और गुटखा पर सचित्र चेतावनी में बदलाव लाकर इसके इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की दिशा में पहल करे सचित्र चेतावनी से तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से लोगों को प्रभावशाली ढंग से हतोत्साहित किया जा सकता है इस सिलसिले में प्रकाशित खबर और उसका अंग्रेजी अनुवाद साथ दिया जा रहा है

धन्यवाद

आपका

पवन कुमार

१० -१२- २०१०