Thursday, March 24, 2011

World TB Day- 24 March

Every year women are being evicted from the family due to TB- Health Minister

Lucknow 24 March. Every year more than one lac women are being evicted from their family due to TB in the country. This is the most unfortunate aspect of this disease. Today this information was given here by the Health Minister Ananat Kumar Mishra to the delegation of Indian Media Centre for Journalist (IMCFJ) on the occasion of World TB Day. IMCFJ is linked to the Central government’s campaign Akshay running against Tuberculosis. On this occasion several aspects of the campaign running against TB was discussed in Uttar Pradesh. Pawan Kumar, the leader of IMCFJ delegation said that the magnitude of TB can be imagined by this that every year 20 lacs people become TB victim in India. He added that according to estimation in every three minutes two people are dying due to TB.

बिहार में 3.40 करोड़ बच्चों को हेल्थ कार्ड

पटना बिहार दिवस के अवसर पर मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नई पीढ़ी स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। अपनी स्थापना के 100वें साल में प्रवेश कर रहे बिहार की ओर से नई पीढ़ी को यह एक बड़ा तोहफा होगा। इस कार्यक्रम के तहत 3.40 करोड़ बच्चों को स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया जाएगा। कार्यक्रम के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रधान स्वास्थ्य सचिव अमरजीत सिन्हा ने सोमवार को बताया कि चार विभिन्न समूहों को स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे। 0-2 माह, 2 माह से 6 साल तथा 6-14 वर्ष आयु वर्ग के स्कूली बच्चों के लिए यह कार्यक्रम चलेगा। सूबे में 0-14 वर्ष के बच्चों की संख्या करीब 3.40 करोड़ है। इसके अलावा 15-18 साल आयु वर्ग की करीब 20 लाख किशोरियों के लिए भी यह योजना लागू होगी। गांधी जयंती तक सभी को कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों के लिए बच्चों को बड़े अस्पताल, यहां तक के राज्य से बाहर भी रेफर किया जाएगा। बच्चों के कटे हुए होंठ, टेढ़े पांव और जन्मजात हृदय रोग जैसी बीमारियों का सरकार इलाज कराएगी। इस कार्यक्रम के लिए ब्रिटेन सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट) ने 40 करोड़ रुपये दिये हैं

हर बच्चे को मिलेगा इलाज का अधिकार

नई दिल्ली(एसएनबी) राजधानीवासियों को चिकित्सा क्षेत्र में कई सुविधाएं मिलेंगी। वित्त वर्ष 2011-12 में दो नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे। इनमें से एक कॉलेज रोहिणी स्थितअंबेडकर अस्पताल परिसर में, जबकि दूसरा द्वारका में नए अस्पताल के निकटवर्ती परिसर में बनाया जाएगा। यही नहीं चाचा नेहरू सेहत योजना नामक एक नया कार्यक्रम शुरूकिया जाएगा, जिसके जरिए राज्य के 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाएगी। इस कार्यक्रम के लागू होने पर करीब 27 लाख स्कूलीबच्चों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा के दायरे में लाया जा सकेगा। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में रोगियों की भीड़ को देखते हुए 500 बिस्तर के नए वार्ड ब्लॉक का निर्माण किया गयाहै और इसे जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। मधुमेह और गुर्दा विकार संबंधी रोगियों के लिए दो विशेषज्ञतापूर्ण क्लीनिक जीटीबी अस्पताल में खोले जाएंगे। इसके अलावा नएब्लाक का निर्माण किया जाएगा। नए अस्पताल भवनों के निर्माण के लिए 167 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इनमें द्वारका में नए अस्पताल के निर्माण के लिए 50करोड़ रुपये भी शामिल है। सरिता विहार, सिरसपुर, केशवपुरम्, बापडौला, छतरपुर, बामनौली में नए अस्पताल भवनों और मोलड़ बंद और झटीकरा में प्रसूति एवं शिशुअस्पतालों का निर्माण किया जाएगा। यही नहीं, प्रस्तावित बजट में सरकारने अंबेडकर नगर, बुराड़ी, और विकासपुरी में सरकार निजी भागीदारी के अंतर्गत नये अस्पतालों केनिर्माण का निर्णय किया है। रेडियो-डायग्नोस्टिक सेवाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार तथा दिल्ली सरका के सभी बड़े अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा प्रदान केनेके लिए, निजी क्षेत्र को शामिल करने का निर्णय किया है, जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर श्रेणी के रोगियों को नि:शुल्क सेवाएं तथा अन्य रोगियों को सस्ती दरों पर सेवाएं प्रदानकरेंगे।

इमरजेंसी में अस्पताल न करने पाएं इलाज से मना

उच्च न्यायालय ने केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे सभी अस्पतालों को आदेश दें कि सरकार के सुझाव को वह दिशा-निर्देश की तौर पर लागू करें। कोई अस्पताल इमरजेंसी में मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकता। सरकार की सिफारिशों को स्वीकारते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की कहा कि दिल्ली व केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सुझावों को दिशा-निर्देश की तरह माना जाए। इनको सभी अस्पतालों को भेज दिया जाए। जो अस्पताल इनका पालन न करें उसके खिलाफ संबंधित अधिकारी कार्रवाई करे। सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य एक सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाए जिसके अंतर्गत अस्पताल आते हों। वे अपने यहां खाली बेड की सूचना कंट्रोल रूम में भेजते रहे। इसमें फोन नंबर, फैक्स नंबर व मोबाइल नंबर अलॉट किया जाएं। इन पर कोई भी अस्पताल या एंबुलेंस संपर्क साध सके ताकि खाली बेड की स्थिति के बारे में पता लग सके। अगर इमरेजेंसी में कोई मरीज अस्पताल आता है और अस्पताल उसे बेड उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है तो उस मरीज को पास के उस अस्पताल में भेज दिया जाए जहां पर बेड खाली है। यह भी सुझाव दिया गया है कि अस्पताल इस बात का पूरा ध्यान रखे कि उनके सारे उपकरण चालू स्थिति में हों और किसी मरीज का इस आधार पर इलाज करने से मना न किया जाए कि उनका कोई डायग्नोस्टिक उपकरण काम नहीं कर रहा है। अगर घायल को किसी प्राइवेट अस्पताल में भी लाया जाता है तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह इलाज करें। कोई भी प्राइवेट अस्पताल किसी मरीज को इस आधार पर इलाज करने से मना नहीं कर सकता है कि उसके पास मेडिको-लीगल डाक्यूमेंट सुविधा नहीं है। इस संबंध में अस्पतालों को पुलिस को सूचित कर देना चाहिए। न ही किसी मरीज का इलाज में इस आधार पर देरी की जाए कि मेडिको-लीगल औपचारिकताएं लंबित है। अदालत ने इस मामले में मीडिया में छपी गई खबर पर स्वत संज्ञान लिया था। सब्जी विक्रेता रामभोर को 29 नवंबर, 2010 को आजादपुर मंडी के पास किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी। उसे जहांगीरपुरी स्थित बाबू जगजीवन राम अस्पताल ले जाया गया परंतु अस्पताल ने बेड न होने की बात कहते हुए उसे भर्ती नहीं किया। इसके बाद कश्मीरी गेट सुश्रत ट्रामा सेंटर ले जाया गया। वहां पर भी उसे यह कहते हुए भर्ती नहीं किया गया कि उनके पास अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है। फिर उसे लोकनायक अस्पताल लाया गया। उसे वहां भी यह कहते हुए भर्ती नहीं किया गया कि कानूनी कागजात पूरे नहीं है। जिसके बाद उसने लोक नायक अस्पताल के परिसर में स्थित एंबुलेंस में ही बिना मेडिकल सुविधा के दम तोड़ दिया।

Wednesday, March 9, 2011

सरकार के लोग पैरवी कर रहे हैं गुटखा कम्पनिओं की

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प्लास्टिक पाउच में गुटखे की बिक्री रोकेगा सचल दस्ता

उत्तर प्रदेश सरकार प्लास्टिक पाउच में गुटखा, तंबाकू और पान मसाला की बिक्री को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमली जामा पहनाने में जुट गई है। इसी के तहत, शासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि पाबंदी के आदेश पूर्ण और प्रभावी अनुपालन के लिए सचल दस्ते का गठन करें। दस्ते में स्थानीय प्रशासन, नगर निगम, पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि यथास्थिति शामिल होंगे। प्रमुख सचिव (पर्यावरण) आलोक रंजन की ओर से जारी आदेश में जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि न सिर्फ वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ाई से अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करायें बल्कि इस संबंध में की गई कार्रवाई से उन्हें हर महीने की दस तारीख तक अवगत भी करायें। शासनादेश में भारत सरकार द्वारा चार फरवरी 2011 को अधिसूचित प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एवं हथालन) रूल्स, 2011 का भी उल्लेख किया गया है। इस नियमावली के नियम 5(घ) में भी यह प्रावधान किया गया है कि गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए प्लास्टिक सामग्री युक्त सैशे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के पाउच में प्लास्टिक का इस्तेमाल भले ही 1 मार्च से प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था,लेकिन सूबे में अदालत के आदेश पर अब तक अमल इसलिए नहीं हो पा रहा था, क्योंकि इस बारे में शासनादेश जारी नहीं हुआ था। शासनादेश की प्रतिलिपि प्रमुख सचिवों/सचिवों, मंडलायुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/अधीक्षकों, निदेशक पर्यावरण, निदेशक स्थानीय निकाय, सदस्य सचिव उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सभी नगर आयुक्तों और नगर पालिकाओं के अधिशासी अधिकारियों को भी भेजी गई है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीमकोर्ट ने विशेष अनुज्ञा याचिका अंकुर गुटखा बनाम इंडिया अस्थमा सोसाइटी एवं अन्य की सुनवाई करते हुए 7 दिसंबर 2010 को अंतरिम आदेश दिया था। अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च 2011 से देश में पान मसाला व गुटखे के पाउच में प्लास्टिक के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। इस याचिका पर नौ फरवरी को फिर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचियों के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था और अपने पूर्व के आदेश को बरकरार रखा था

Tuesday, March 1, 2011

आज से ताले में गुटखा, लगेगा करोड़ों का झटका

पैकेजिंग की रणनीति तय न होने से मंगलवार से गुटखा उत्पादन रुक जायेगा। इससे पैकेजिंग उद्योग को जहां रोज दो करोड़ का झटका लगेगा वहीं गुटखा के छह से आठ करोड़ रुपये के उत्पादन के साथ किराना बाजार का 10 करोड़ रुपये रोजाना का कारोबार प्रभावित होगा। हजारों लोगों की रोजी-रोटी भी संकट में आ जायेगी पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने पाउच में पान मसाला बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पैकेजिंग उद्योग के साथ गुटखा फैक्टि्रयों व किराना कारोबार पर संकट आ गया है। पान मसाला कारोबारियों ने ज्यादा माल बाजार में उतारकर नुकसान से बचने का प्रयास किया। लेकिन आज से तालाबंदी हो जायेगी। ऐसे में किराना बाजार में भी सुपाड़ी, कत्था, मेंथा, लौंग-इलायची का कारोबार घटेगा। इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ जायेगा। प्रतिबंध से हड़कंप सोमवार दोपहर नगर निगम ने उद्घोषणा करा दी कि गुटखा बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दुकानदार गुटखा हटा दें। इस पर किराना व्यापारियों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा पैकेजिंग पर रोक एक मार्च से है। 28 फरवरी तक बाजार में उतारा गया माल छोटे कारोबारी कहां लेकर जायेंगे। महापौर से बात के बाद उद्घोषणा रोकी गयी। 13 अप्रैल का इंतजार पान मसाले के स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर को लेकर चल रहे मामले में 13 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है। सब सहमे हैं कि उसमें क्या फैसला आयेगा। कारोबार पर एक नजर पान मसाला निर्माता (छोटे-बड़े)-25 कुल मशीनें - 300 उत्पादन होता रोजाना- 6 से 8 करोड़ रुपये किराना बाजार का कारोबार -10 करोड़ रुपये पैकेजिंग उद्योग को नुकसान - 2 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष रूप से जुड़े- 5000 कर्मचारी परोक्ष रुप से जुड़े- करीब 50 हजार लोग।