Wednesday, February 2, 2011

धुएं में उड़ा रहे धूमपान निषेध कानून

तंबाकू और धूम्रपान पर प्रतिबंध के लिए भले ही कानून बना हो, लेकिन देवभूमि में तंबाकू के उत्पादों का सेवन करने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ बताते हैं कि प्रदेश की चौथाई से अधिक आबादी इसकी चपेट में आ है। कैंसर सहित तमाम रोगों को दावत देने वाला तंबाकू का सेवन युवाओं को भी बुढ़ाने लगा है। यूं तो देवभूमि अपने धार्मिक परिवेश, नैसर्गिक सौंदर्यता और यहां की कला, संस्कृति के लिए विख्यात है। अब मदिरा के बढ़ते सेवन के साथ ही तंबाकू की खपत भी लगातार बढ़ रही है। महिला-पुरुषों में तंबाकू सेवन का आंकड़ा खतरे का आभास करा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत पुरुष और 3 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं तंबाकू सेवन की आदी हो चुकी हैं। नवीनतम गणना के अनुसार सूबे की आबादी एक करोड़ के करीब है। इसमें से लगभग 28 लाख लोग तंबाकू व धुम्रपान के दायरे में हैं। इसके अलावा तंबाकू के अन्य उत्पाद मसाला, गुटका, खैनी आदि का प्रयोग करने वालों की तादाद दिनप्रतिदिन बढ़ रही है। पिछले वर्ष के आंकडे़ बताते हैं कि 10 से 14 प्रतिशत लोग इनका सेवन कर रहे हैं। जिसमें 18 साल से कम के युवक और युवतियों की संख्या ज्यादा है। इस लिहाज से यह आंकड़ा लगभग 38 लाख तक पहुंचता है, जो इस प्रदेश की एक भयावह तस्वीर सामने ला रहा है। इसे रोकने के लिए कायदे-कानून तो बने, लेकिन इनका कोई असर नहीं हुआ। 2 अक्टूबर-2008 को सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी, सिगरेट पीने में जुर्माने और सजा के प्रावधान के बावजूद आज तक कार्रवाई का कोई मामला सामने नहीं आया है। स्कूलों, कालेज व अस्पताल परिसर के सौ मीटर के दायरे पर इनकी बिक्री पर लगी रोक कहीं कहीं भी प्रभावी नहीं है।

हर साल छह हजार कैंसर के मरीज तंबाकू के सेवन से रोगियों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा है। दिल व फेफडे़ की बीमारियों के साथ ही हर साल लगभग 6 हजार कैंसर के मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं। जो पहाड़ी राज्य के लिए हैरत में डालने वाला तथ्य है। पचास लाख से ज्यादा नेपाली खुकरी का कारोबार सूबे में तंबाकू पदार्थो का बिजनेस लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में 5 अरब से ज्यादा का कारोबार जहां भारतीय कंपनियों का है, वहीं नेपाल से आने वाली खुकरी सिगरेट हर साल 50 लाख से ज्यादा का व्यवसाय करती है। सिगरेट, बीड़ी, गुटका, खैनी, पान-मसाले के शौकीनों के साथ ही चरस, गांजा, भांग का सेवन करने वाले भी बढ़ रहे हैं। अवैध व्यापार का भी आंकड़ा अरबों में है।

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