Tuesday, February 22, 2011

उड़ाते गये धुएं में वार्निग के हर्फ भी

राजधानी पटना के एक बड़े मार्केट काम्पलेक्स में एक युवती ने जब अपने दो पुरुष सहयोगियों के साथ बड़े इत्मीनान से सिगरेट सुलगायी, तो आसपास खड़े लोगों के लिए यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी। लोग अक्सर ऐसा नजारा देखते हैं। दरअसल, धूम्रपान (स्मोकिंग) यहां के लिए आम बात हो चुकी है। वहीं युवाओं, विशेषकर स्कूल जाने वाले छात्रों में गुटखा की जबरदस्त लत पड़ चुकी है। हाल में आयी ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे की चौंका देने वाली रिपोर्ट को देख तो अब सरकार भी चिंतित हो गयी है। अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में विभिन्न रूपों, यानी धुआं फेफड़े में उतारने से लेकर चबाने या होठों में दबा कर चूसने तक में, तम्बाकू का सेवन बेहिसाब बढ़ा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में 66.2 प्रतिशत पुरुष और 40.1 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू की लती हो चुकी हैं। स्कूल एवं कालेज जाने वाले छात्रों की तो 50 फीसदी से अधिक संख्या तम्बाकू का सेवन कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में तम्बाकू का लोग ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक गांवों की 53 फीसदी आबादी तम्बाकू की लत की जकड़ में है, जबकि शहरी क्षेत्र में यह प्रतिशत 37 का है। सर्वे के मुताबिक सूबे में औसतन एक व्यक्ति प्रति माह सिगरेट पर 229 रुपये और बीड़ी पर 42.70 रुपये खर्च कर रहा है। यहां धुआंरहित तम्बाकू का सबसे अधिक सेवन है। 49 प्रतिशत लोग धुआंरहित तम्बाकू-जैसे खैनी, गुटखा, गुल आदि का प्रयोग कर रहे हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या खैनी खाने वालों की है। तम्बाकू सेवन करने वालों में 51 प्रतिशत खैनी की लत के शिकार हैं। धुआं सहित तम्बाकू, जैसे-सिगरेट, बीड़ी, हुक्का का उपयोग करने वाले 15.2 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़ दिया जाए तो तम्बाकू सेवन के मामले में बिहार सबसे आगे है। चिंता की बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू का सेवन नहीं करने वालों की बड़ी संख्या भी इसके बुरे प्रभाव का शिकार हो रही है। सर्वे में बताया गया है कि 29 प्रतिशत लोग ऐसे घरों में रहते हैं, जहां घर के दूसरे सदस्य सिगरेट या बीड़ी पीते हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=50&edition=2011-02-09&pageno=7#

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