Saturday, April 16, 2011

कहीं यह गुटखा जानलेवा तो नहीं!

अधिक कमाई के चक्कर में विक्रेता नकली गुटखे बनाकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लास्टिक पाउच की पैकिंग पर प्रतिबंध लगा दिया, मगर इसके बाद मार्केट में गुटखे की कालाबाजारी और बढ़ गई। गुटखे की ऊंची कीमतों के चलते अब नकली गुटखा बनाने वाले सक्रिय हो गए हैं। हाथरस में दो दिन पहले ऐसी ही एक फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ है। यह फैक्ट्री गुटखा बनाने के लिए इंफेक्टेड लकड़ी, हैविट फार्मिग दवाइयां (अफीम), सोप इंस्टोन पाउडर के साथ अन्य कई तरह के घातक रसायनों का इस्तेमाल नकली गुटखा बनाने में करती थी। इन चीजों से बना गुटखा खाने से कैंसर और दांत गिरने का खतरा होता है। हैविट फार्मिग की वजह से गुटखे की लत लग जाती है। महामायानगर के जिलाधिकारी वाईके बहल ने कहा कि नकली गुटखे का निर्माण कतई नहीं होने दिया जाएगा। गुटखे की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीएम को आदेश दिए गए हैं। बागला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. आरपी सिंह का कहना है कि नशे की आदत से दिमाग कमजोर हो जाता है।

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