Saturday, April 16, 2011

तंबाकू कंपनियों को कर्ज देने से बचने लगे बैंक

देश भर में तंबाकू उत्पादों के खिलाफ बढ़ती जागरूकता और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का असर चारों तरफ दिखाई दे रहा है। जिस दिन से सर्वोच्च न्यायालय ने पाउच में गुटखा बिक्री पर रोक लगाई है, उसके बाद से बैंकों ने तंबाकू क्षेत्र को कर्ज देना काफी कम कर दिया है। तंबाकू के अलावा शराब व अन्य नशीले पेय बनाने वाली कंपनियों को कर्ज देने से भी बैंक परहेज करने लगे हैं। बैंकों का यह रुख सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही दिखाई दिया है। अभी तक तंबाकू उत्पाद या बेवरेज (शराब सहित तमाम नशीले पेय उत्पाद) कंपनियों को वे खूब दिल खोलकर कर्ज दिया करते थे। चालू वित्त वर्ष में फरवरी, 2011 तक बैंकों ने तंबाकू व बेवरेज क्षेत्र को महज 11,762 करोड़ रुपये का कर्ज मुहैया कराया है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में मात्र 7.2 फीसदी ज्यादा है। पिछले वर्ष यानी मार्च, 2009 से फरवरी, 2010 की अवधि में इन उद्योगों को कर्ज देने की रफ्तार 29.6 फीसदी बढ़ी थी। साफ है कि तंबाकू व बेवरेज उद्योग को कर्ज की रफ्तार में 23 फीसदी की कमी आई है। जून, 2010 तक इस क्षेत्र को कर्ज की रफ्तार 39 फीसदी तक थी। दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कर्ज देने में परहेज तंबाकू उद्योग की स्थिति को देखते हुए किया जा रहा है। बैंकों को लगता है कि तंबाकू उद्योग का भविष्य अच्छा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट नेदिसंबर, 2010 में एक फैसले के तहत प्लास्टिक पाउच में तंबाकू मिश्रित गुटखा की बिक्री पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पूरे तंबाकू उद्योग के भविष्य को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। तंबाकू की बिक्री में भी काफी गिरावट आई है। इसके अलावा शीर्ष अदालत में तंबाकू की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का भी मामला विचाराधीन है। इससे बैंक सतर्कता बरत रहे हैं। कारण जो भी हो, कर्ज का नहीं मिलना तंबाकू कंपनियों के लिए दोहरी मार है। इस सबसे लोगों में तंबाकू सेवन की आदत भी कम हो रही है, जिसका असर इन कंपनियों के भविष्य पर पड़ना तय है।

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