Saturday, April 16, 2011

गुटखा की कालाबाजारी

गुटखा विक्रेताओं के अनुसार शहर के करीब 10 होलसेलरों ने जमा कर रखा है करोड़ों का माल, कागज के पाउच में आने के बावजूद दुगने-तिगुने दामों में बेच रहे हैं पुराना माल
पान मसाला व गुटखा की बेरोकटोक कालाबाजारी के कारण होलसेलर अंधी कमाई में लगे हैं। वे 262 रु. में 50 पाउच का रजनीगंधा का पैक, माल नहीं होने का बहाना बनाकर फुटकर विक्रेताओं को 510 से 550 रु. में बेच रहे हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को 300 फीसदी ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। छह रु. का पाउच एक माह से 12 से 18 रु. में खरीदना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि पूरे देश में गुटखा, पान मसाला की प्लास्टिक पाउच में बिक्री पर एक माह पहले रोक लगा दी थी। उसके बाद से शहर में होलसेलरों ने कालाबाजारी शुरू कर दी, जिस पर अब तक कोई लगाम नहीं लग पाई है। गुटखा विक्रेताओं के अनुसार शहर में हर माह करीब 20-25 लाख पाउच बिकते हैं। पुरानी रेट के हिसाब से करीब सवा करोड़ का कारोबार इन दिनों कालाबाजारी के चलते 2.5 से 4 करोड़ रु. पहुंच गया है। फुटकर कारोबारी अन्नु दासवानी ने बताया कि रजनीगंधा खाने वाले उपभोक्ताओं ने तिगुने दामों के कारण 10 से 20 फीसदी गुटखा कम कर दिया है। दस होलसेलरों द्वारा पूरे शहर के माल की कालाबाजारी किए जाने पर बाट एवं माप विभाग शिकायत प्राप्त होते ही छापेमारी कर सकता है, जिससे बाजार में केवल कागज के पाउच में ही गुटखा बिकेगा।

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